झारखण्ड की धरती  Ashutosh kumar jha

झारखण्ड की धरती

Ashutosh kumar jha

प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा,
कुदरत की सुन्दरता
कूट-कूट कर भरा।
ऊँचे नीचे खेत
टेढे-मेढे पगडंडियों से भरा,
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
 

चमक बिखेर रहा
लाल-लाल पलाश,
और हरे-भरे जंगल
ऊँचे लिप्टस और
घने काले बादल,
पहाड़ियों से भरा
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
 

चरों ओर शोभा बढ़ाते
ऊँचे पहाड़ और झरने,
जानवरों का संगीत
तो है इसके गहने।
विभिन्न प्रजातियाँ
यहाँ है रहतीं,
कठिन परिश्रम
इनके रग-रग में भरा,
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
 

खाते पीते प्यार से रहते
अभिमान को अभिशाप समझते,
प्रकृति को अपना गहना समझकर
इनकी ही सेवा करते,
महुआ के खेतो में
महुआ की फसलों से
इनका जीवन हरा,
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।
 

सर्दी गर्मी या हो बरसात
जीवन की अनमोल सुन्दर वादियाँ,
विभिन्न रंगो में मिल जाएँगे,
हर विघ्न बाधा से दूर
खूद को पाएँगे क्योंकि
ईश्वर ने हर मौसम
का रंग यहाँ की घरती में है भरा,
प्राणों से प्यारा
झारखंड है हरा।

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