हम में है हिंदी Praveen Kumar
हम में है हिंदी
Praveen Kumarसरिता की बहती धार है हिंदी,
शब्दों का संगठित परिवार है हिन्दी,
सुरों की सरताज है हिंदी,
सब भाषाओं की मुमताज़ है हिंदी,
हम में है हिंदी, हाँ हम में है हिंदी।
खुशियों की पहचान है हिंदी,
मेरे बचपन की मुस्कान है हिंदी,
हमारे दिलों की भावना है हिन्दी,
कोमल होठों की उपासना है हिन्दी,
हम में है हिंदी, हाँ हम में है हिंदी।
विद्यालय की पाठशाला है हिंदी,
बच्चन की मधुशाला है हिंदी,
हिमालय की ऊँचाई है हिंदी,
सागर की गहराई है हिंदी,
हम में है हिंदी, हाँ हम में है हिंदी।
गीता का गुणगान है हिंदी,
माँ वीणावादिनी का वरदान है हिंदी,
कवियों का सम्मान है हिंदी,
प्रेमचंद की गोदान है हिंदी,
हम में है हिंदी, हाँ हम में है हिंदी।
कहानी बड़ी दुखदाई है,
बोली अब परछाईं है,
क्या हो गई इतनी पराई हिंदी,
जो उसने पीर सुनाई है।
अगर आए शर्म बोलने में हिंदी
तो वो हिंदी छोड़ दें,
अपना मुँह हिंदी से मोंड़ लें।
क्योंकि जीने का एहसास है हिंदी,
हम भारतवासियों का विश्वास है हिंदी,
हर हिंदुस्तानी की जुबान है हिंदी,
भारत माँ की आन बान शान है हिंदी,
हम में है हिंदी, हाँ हम में है हिंदी।
हम हिंदी को कैसे छोड़ सकते हैं,
अपना मुँह हिंदी से कैसे मोड़ सकते हैं,
हम भारतीयों की परिभाषा है हिंदी,
भारत की राजभाषा है हिंदी।
तो बोलो आज,
हम में है हिंदी, हाँ हम में है हिंदी।