यादें सावन की Ashutosh kumar jha
यादें सावन की
Ashutosh kumar jhaसावन में प्रिय
वन उपवन में फूल खिले
हरी हरियाली छाई।
काली घटा बरसे झूम
मोर मयूर पंख फैलाएँ,
नाचन को व्याकुल भई
मेढक का संगीत मधुर प्रिय
कैसे करूँ बड़ाई।
शोभा बढ़ाती प्रकृति
झूल-झूल कर डाल खूब इठलाती,
फूलों के संग बगिया में
पूरबैया के संग मस्ती लुटाती।
झूले लगे हैं चारों-ओर
चानन की काठ
रेशम की डोर,
तेरा झूलना प्रिय
झूला की ठाठ बढाती।
तेरी सखियों की चहक
मंद-मंद फूलों की महक,
वो किलकारी की गूँज
पुष्प का यह अद्भुत सौन्दर्य
सावन में प्रिय तेरी ही याद दिलाती।