पर्यावरण Ashutosh kumar jha
पर्यावरण
Ashutosh kumar jhaनीले गगन के तले
वृक्षों को पाकर
धरती का श्रृंगार बढ़े।
लहराती झोंके
बलखाती डाली,
फूलों का खिलना,
हवा का बहना,
मानव का कल्याण करे,
नीले गगन के तले
वृक्षों को पाकर
धरती का श्रृंगार बढ़े।
ऊँचे-वृक्ष और पहाड़ी
हर ओर हरियाली,
नदी और नाले
प्रकृति को हैं प्यारे,
जीवन का मार्ग प्रशस्त करे,
नीले गगन के तले
वृक्षों को पाकर
धरती का श्रृंगार बढ़े।
धरती तो प्यारी
जगत दुलारी,
हम सब की पालन हारी,
नीले गगन के नीचे
हरी-हरी हरियाली शोभा बढ़ाती,
अपने आगोश में जीवन के
अंतिम दिनों में सुलाती,
सबकी माता नाम से जानी जाती,
ये तो हमेशा उपकार ही करे,
नीले गगन के तले
वृक्षों को पाकर
धरती का श्रृंगार बढ़े।
जब तक हैं पौधे
तब-तक हैं साँसें,
यह सबका कल्याण करे,
कसी से न भेद-भाव करे,
नीले गगन के तले
वृक्ष लगाकर बढें।