खुले उरेज  Naman Joshi

खुले उरेज

Naman Joshi

एक कोहरे की गहराई में
बैठ गई कोई स्तन खोले,
कांप उठी तब नीली गेंदे
कुल्टी, वैश्या, मस्तन बोले।
 

मचल गया धन्ना का यौवन
गलीधारी भगते आए,
दहक उठी स्तन की बातें
स्तन वाली सब चिल्लाए।
 

टूटे कमल की पंखुड़ी वाले
नयनों में अश्रु भर बोले,
एक कोहरे की गहराई में
बैठ गई कोई स्तन खोले।
 

कोहरे में कोहराम मचा
भीड़ अति भी जम आई,
यौवन के इस विलख खेल में
दिखी मातृ सी परछाई।
 

स्तन के जादू के दर्शक
अब दूरी से दूर हुए,
उहा-उहा के रोदन से
सब कृतज्ञ मजबूर हुए।
 

थम से गए करुणा गीत
उहा-उहा बोले ना डोले,
एक कोहरे की गहराई में
बैठ गई कोई स्तन खोले।

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