शहर  Naman Joshi

शहर

Naman Joshi

पता है मैं शहर हूँ,
हाँ-हाँ उन्हीं हरफनमौलाओं
का शहर,
जो हँसते समय,
बिगड़े दाँतों की चमक देखते हैं,
उनका रोना, श्याल के रोने
जैसा है,
उनकी मुस्कान रहस्यवाद है,
हाँ वो रहस्यवाद
जिसमें हल्की मौत और दुःख
की परछाई नज़र आती है।
बोला था ना मैंने,
मैं शहर हूँ,
अरे उन्हीं साहबो का शहर...

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