हमें भी खुला आकाश चाहिए Tilak raj saxena
हमें भी खुला आकाश चाहिए
Tilak raj saxenaना हमें दया ना तिरस्कार चाहिए,
जिन पौधों को सींचा है लहू से अपने,
उनसे बस थोड़ा सा प्यार चाहिए।
वो भी ख़ुशी अगर ये दे नहीं सकते
तो किस हक़ से इन्हें दुलार चाहिए,
ना बाँधें झूठे बन्धनों में हमें,
आख़िर दिल हमारा भी धड़कता है
हमें भी उड़ने को खुला आकाश चाहिए।
तिनका-तिनका जिनके लिए जलते रहे उम्र भर,
आज हमें भी उसका कुछ सिला चाहिए,
जिनका बचपन था हमारे लिए दोनों ज़हां,
हमारे बचपने के लिए आज हमें भी,
उनका वही खिलखिलाता बचपना चाहिए।