पाक का हश्र  Sanam Ami

पाक का हश्र

Sanam Ami

सफ़ेद रोगन को भूल के अब
केसरी को रागों में फिलहाल करें,
हिन्द वीरता दिखा के कायम
बदले की ऐसी मिसाल करें,
कि जुर्म को कोई जो आबाद करे,
तो वो पाक का हश्र याद करे।
 

कब तक अपनाएँ शहादत को,
कब तक माफ़ी दें ऐसी आदत को,
अब कतार रक्त की वहाँ बहेगी,
सबकी रूह ये अंजाम सहेगी,
कि आतंक की कोई जो दाद करे,
तो वो पाक का हश्र याद करे।
 

सरहद पे जिस धात्री का लाल है,
उसका डर से क्यों बुरा हाल है,
तो उस माँ को ये नसीर दें,
अब जैश का सीना चीर के,
कि बर्बादी को कोई जो इज़ाद करे,
तो वो पाक का हश्र याद करे।
 

जिसके हाथों में खेली बेटी
आज उसको ही दफनाती है,
जिसकी शादी का सपना देखा
वो बहन गुहार लगाती है,
दर्द क्या होता है बता दो उनको,
इतनी दर्दनाक सज़ा दो उनको
कि दहशत की कोई जो मुराद करे,
तो वो पाक का हश्र याद करे।
 

पहले 40 फिर अब 4 को,
ना सहूँ मैं इस अत्याचार को,
उनकी मौत इतनी घातक करो,
ख़्वाब तक को इतना भयानक करो
कि भारत के परे कोई विवाद करे,
तो वो पाक का हश्र याद करे।

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