समझौता  Vandana Namdev Verma

समझौता

Vandana Namdev Verma

ये जीवन इक पहेली है,
सुख-दुःख की सहेली है,
यहाँ करना है समझौता,
ये पग-पग में अकेली है।
 

हारना भी है जीवन में,
जीतना भी है जीवन में,
यहाँ करना है समझौता,
कि चलना भी है जीवन में।
 

यहाँ हँसना है, रोना है,
रूठना है, मनाना है,
यहाँ करना है समझौता,
टूट कर फिर सम्भलना है।
 

यहाँ पग-पग में काँटे हैं,
जगे कितनी ही रातें हैं,
यहाँ करना है समझौता
कि खुशियाँ भी बाँटे हैं।
 

धूल में मिलना है इक दिन,
फूल-सा खिलना है इक दिन,
यहाँ करना है समझौता,
कि आगे बढ़ना है तुम बिन।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
867
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com