देश का लाल Praveen Raturi
देश का लाल
Praveen Raturiबाल की खाल हो और उस खाल में भी बाल हो,
ऐसी तीव्र बुद्धि और ज्ञान बेमिसाल हो,
स्वच्छ साफ सुंदर मन मुक्त मायाजाल हो,
प्रेम का प्रकाश हो और हरियाली भूमिधार हो,
ऐसा स्वप्न सुंदर सा देश का वह लाल हो।
हिंदू हो न मुस्लिम हो न सिख इसाई हो,
एक धर्म-कर्म सब का और वह धर्म अनुयायी हो,
ज्ञानी हो विज्ञानी हो सात्विक सर्वदानी हो,
प्रवीण हो पराक्रमी हो नव अभिमानी हो,
नित्यकृत कर्ता हो धरती पर न भार हो,
ऐसा स्वप्न सुंदर सा देश का वह लाल हो।
माँ पिता के चरण धूलि वह पित्र सेवाकार हो,
गुरुवर की आज्ञा करता प्रभु भक्त अपार हो,
गीता कुरान बाइबल के ज्ञान का वह सार हो,
ऐसा स्वप्न सुंदर सा देश का वह लाल हो।