अब परीक्षा है समय के संग भारी Anoop Kumar Singh
अब परीक्षा है समय के संग भारी
Anoop Kumar Singhमन में पहाड़ी जो अभी तक है चढ़ी
कदमों में दृढ़ता है कि क्या इतनी बड़ी,
जो पूर्ण हों आशाएँ सारी स्वप्न वाली,
कर चुके हो क्या कि अब पूरी तैयारी,
अब परीक्षा है समय के संग भारी।
जो निर्बल उनकी भी चाहत है विजय,
जो तरल हैं वो नहीं है चाहते क्षय,
पर स्वयं को स्वप्न के लायक बनाकर
क्या कर सकोगे प्रयाण का उद्घोष जारी,
अब परीक्षा है समय के संग भारी।
परीक्षा जो नहीं आती कि बारम्बार है,
परीक्षा देती सदा ही सत्य का कुछ सार है,
परीक्षा में परीक्षा है स्वयं की द्वारा स्वयं से,
इस सुअवसर की है आई पुनः से बारी,
अब परीक्षा है समय के संग भारी।