सजन रे झूठ मत बोलो Premlata tripathi
सजन रे झूठ मत बोलो
Premlata tripathiनेह भरा जीवन पथ प्रीतम, विषय वासना मत घोलो,
बंधन प्यारा साथ हमारा, "सजन रे झूठ मत बोलो"।
सजन रे झूठ मत बोलो ...
गरिमा अपनी अधिकारों की, संबल प्रगाढ़ यह तन-मन,
कठिन वेदना मन में पलती, जिसको मानो जीवन धन,
संगी साथी सहोदरा सह, निष्काम मना तज स्वारथ,
दुर्गम है भव-सागर तरना, नैन पुनीत अब खोलो।
सजन रे झूठ मत बोलो ...
घुलमिल जाएँ इक दूजे में, पीड़ा मिटे दुराशा के,
काया अपनी सदा साथ दे, सघन सितारे आशा के,
साँच को आँच नहीं बावरे, धूप छाँव से क्यों बोझिल,
संघर्ष बड़ा मिथ्या जग में, यों श्रद्धा को मत तोलो।
सजन रे झूठ मत बोलो ...
सृजन श्वांस भी सुरभित करना, लहर उठे मन का सागर,
दूर डगर पनघट तक जाना, भाव बिना रीती गागर,
आँसू अजस्र यह सूखे क्यों, मानवता की वेदी पर,
बातें युगीन नश्वरता की, करुणा से नयन भिगोलो।
बंधन प्यारा साथ हमारा, सजन रे झूठ मत बोलो।