मेह सावन Premlata tripathi
मेह सावन
Premlata tripathiमेह सावन तुम्हें रिझाना है,
मीत मनको सरस बनाना है।
बूँद रिमझिम तपन मिटाती हो,
सुन तराने तुम्हें सुनाना है।
भीग जाना मुझे फुहारों में,
आज तुमको गले लगाना है।
राह कंटक भरी सताती जो,
फूल बनकर उसे सजाना है।
झूम सावन सरस सुहावन हो,
गीत सरगम सुधा लुटाना है।
प्रेम मिलता रहे तुम्हारा घन,
पर कहर से तुम्हें बचाना है।
छंद : पारिजात
मापनी : २१२२ १२१२ २