वहम  AMITOSH AMITOSH

वहम

AMITOSH AMITOSH

जो हम जानते हैं, समझते हैं,
वही सच है या कुछ और,
जो तुम जताते हो, बताते हो,
वही सच है या कुछ और,
जो दिखता है या तुम दिखाते हो
वही सच है या कुछ और।
 

ना जाने कितने सच को, झूठ में
और कितने झूठ को, सच में
बदलते देखा है,
अब सच और झूठ
गुंथ गए हैं आपस में
अलग ना होंगे कभी।
 

इन्हीं सच और झूठ के बीच खड़ा मैं,
मेरा सच ही सच या झूठ कोई,
मेरा झूठ ही झूठ या सच कोई,
या फिर सच या झूठ कुछ नहीं
वहम है कोई.
जिसका शिकार हर कोई,
और यही वहम है ज़िन्दगी ! !

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