मैं कुत्ता हूँ  Rajender कुमार Chauhan

मैं कुत्ता हूँ

Rajender कुमार Chauhan

मुझे पता है मैं बेचारा कुत्ता हूँ,
फेंके हुए चन्द टुकड़ों पर पलता हूँ!
 

बेवजह भौंकता खामखाँ काटता हूँ,
गली में, घर द्वार के बाहर लेटता हूँ,
क्या समझोगे मेरी भाषा भावना को,
तुम्हारी सलामती की बाट जोहता हूँ!
जल्द घर आने की दुआ करता हूँ,
खुशी में खुश, दुखः में पिघलता हूँ।
 

रखवाली में इन्सान मेरे भरोसे है,
मेरी बहादुरी के अनेक किस्से हैं,
मुझे पालने वाला ही मेरा स्वामी है,
भक्ति का कीर्तिमान मेरे हिस्से है!
सच्च कह-कह कर जो भौंकता हूँ,
इसलिए ही मैं सबको खलता हूँ।/

 

मैं इन्सानों की तरह काटता नहीं,
छुआ छूत, ऊँच नीच में बाँटता नहीं,
जो मिला उसमें गुजारा कर लिया,
ये तेरा ये मेरा, फ़र्क से छाँटता नहीं!
सुबह से शाम उम्मीदों में जीता हूँ,
वक़्त के साथ हालात में ढलता हूँ।
 

सेवा में स्वामी भक्त कहलाता हूँ,
कृतज्ञता में हमेशा दुम हिलाता हूँ,
मेरे मालिक पर कोई आँच आए तो,
रक्षा में हमलावर भी बन जाता हूँ !
बड़ा अभिमान होता है मुझे, जब--
फौजी कपड़ों में शान से निकलता हूँ।
 

वन वृक्ष, घने जंगल तुमने काट डाले,
नदी मैदान पहाड़ भी तुमने पाट डाले,
पार्कों से लताड़ कर हमें भगा देते हो,
हमारे झुण्ड, परिवार तुमने बाँट डाले!
तुम्हारे खिलाने का कर्ज है मुझ पर,
ये सोच कर ही कुछ सम्भलता हूँ मैं।
 

मेरे नाम कुछ धन सम्पति नहीं है,
रहने को कोई पक्का आवास नहीं है,
छल कपट मेरे बच्चे कर नहीं सकते,
क्योंकि जायदाद मेरे पास नहीं है!
इन्सानी दुनिया में ये सब होता है,
ना मलाल करता ना हाथ मलता हूँ।

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