बता जाने वाले  Shubham Kumar

बता जाने वाले

Shubham Kumar

न आया समझ क्यों गया छोड़ करके,
थी 'मुकम्मल मुहब्बत', बस इतनी कसर है,
बता जाने वाले ये कैसा असर है,
तू कैसा कहाँ है मुझे हर खबर है।.....१
 

सुना है अकेले ही रो लेती तुम भी,
सुना है तुम्हारी भी मुझपे नज़र है,
कश्ती डगमगाई जब बिछड़े थे हम-तुम,
अब कैसी बेचैनी, ये कैसा लहर है।
बता जाने वाले......२
 

थे जबतक यहाँ तुम थी हर राह छोटी,
अब जो तुम नही हो तो लंबा सफर है,
ये बातें थी कल की पर लगती पुरानी,
कटेगी अब कैसे, ये सारी उम्र है।
बता जाने वाले......३
 

वो नींदें और सपने, वो रातें और बातें,
मैं सो जाऊँ कैसे ये पहली 'पहर' है,
फ़िज़ा में थी खुशबू, तुम थे जब यहाँ पर,
ना जाने अब कैसे हवा में ज़हर है।
बता जाने वाले......४
 

न गाँव है भाता, न घर भी मैं जाता,
वो छोटी सी 'यादें' ही मेरा 'शहर' है,
भावनाएँ लिए बस अब तैरू कहाँ तक,
मैं डूबूँ है मुमकिन, भँवर ही भँवर है।
बता जाने वाले......५
 

मैं जी लूँगा फिर भी ये 'यादें' अगर हैं,
ख़त्म ना हो जाए, ये डर भी मगर है,
क्या खोया क्या पाया, नहीं सोचता हूँ,
तसल्ली यही कि कहानी 'अमर' है।
बता जाने वाले......६

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