समय न गँवायें !!  Premlata tripathi

समय न गँवायें !!

Premlata tripathi

पीडा़ जगायें, न दीन सतायें,
करुणा नयन ये, आँसू बहायें।
 

साहस भरें दम, पूजा फलेगी,
पग-पग सदा हम, मिलकर बढा़यें।
 

घातक गरीबी, व्याकुल करे मन,
विपदा कटेगी, अजान मिटायें।
 

आई चीन से, आफत कोरोना,
करनी सुरक्षा, समय न गँवायें।
 

कानून अपना, अंधा न बहरा,
असत्य बुराई, न शीश उठायें।
 

मुस्कान अपनी, यूँ खो रही क्यों,
हँसती बहारें, फिर द्वार आयें।
 

अंतस सँवारे, हो प्रेम पुष्पित,
क्यों पाप धोने, गंगा नहायें।
 

गीतिका
छंद-द्विगुणित- गंग (सम मात्रिक)
शिल्प विधान- मात्रिक भार =9,9 =18

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