एक तरफा मोहब्बत  APOORVA SINGH

एक तरफा मोहब्बत

APOORVA SINGH

तेरे ही क़दमों के निशान पे चलूँगी
तू हक जता के तो देख,
कर दूँगी न्योछावर सब कुछ तुझ पर
तू मोहब्बत निभा के तो देख।
 

ना दिखे तुझे आँसू मेरे
ना महसूस हुआ दिल का दर्द,
अरे सह लूँगी हर सितम तेरे
तू ज़रा आजमा के तो देख।
 

दे सकती हूँ हर खुशी तुझे
तू संग चल के तो दिखा,
बन तो जाऊँ मैं रानी तेरी
पर तू भी तो राजा बन के दिखा।
 

तूने चंद पैसे फेक के
अपनी वफा जता दी,
मेरी तो दौलत ही दुआ थी
जो भी थी सब तुझपे लुटा दी।
 

पूजती थी कभी मैं तुझे
तू ही मेरी इबादत में था,
मैं तो बन जाऊँ फिर वही भक्त तेरी
पर तू भी तो रब बन के दिखा।
 

बहुत गुरूर था मुझे तुझ पर
उस तड़प को मेरी आँखों में देख,
ले आऊँगी वापस वही फक्र
तू मुझे इंसान समझ के तो देख।
 

यूँ भरी महफ़िल में चीर हरण ना कर
समाज में बेतहाशा जी भर जलील ना कर,
मोहब्बत पैसों से शुरू होकर जिस्म तक नहीं होती
इक पल के लिए हवस से ऊपर उठ के तो देख।
 

कर ले तू मुझे कितना भी बेइज्जत
तेरी इज्जत मैंने वैसे ही सहेज के रखी है,
मेरा क्या है, बन के पार्वती झोक भी दूँ खुद को अग्नि में
बस एक दफा, एक दफा, तू शिव बन के तो देख।

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