मेरे माता पिता मेरे आइडियल  Vineet Bhardwaj

मेरे माता पिता मेरे आइडियल

Vineet Bhardwaj

पिछले दिनों कारण बना प्राईमरी स्कूल जाने का,
मैंने सोचा अच्छा मौका है बच्चों से बतियाने का।
 

एक बच्चे को जब पूछा कौन है आपका आईडल,
मेरे पिताजी, झट से जवाब आया बिना गँवाए एक भी पल।
 

अचरज हुआ जान कर कि बच्चे का आईडल पिता,
जबकि आजकल तो भाता है बच्चों को डोरेमोन या नोबिता।
 

पैरों तले जमीन ना रही जब कारण जाना,
पिता की तरह ही बनूँगा बच्चे ने था ठाना।
 

पिता ही की तरह से गाड़ी चलाऊँगा,
ना हेलमेट पहनूँगा ना कभी बेल्ट लगाऊँगा।
 

सिग्नल जंप करूँगा, मोबाइल चलाऊँगा,
पुलिस वाला दिखेगा, तो झट से अच्छा बन जाऊँगा।
 

मैंने पूछा, क्या करोगे जब पुलिस वाला पकड़ लेगा,
चालान कटेगा और पर्ची हाथ में देगा।
 

बच्चा हाजिर जवाबी था बोला आसानी से बच जाऊँगा,
पिता दादा का नाम ले कर धमकाते हैं,
मैं अपने पिता के नाम से धमकाऊँगा।
 

ज्यादा हुआ तो कुछ ले दे कर निपटा लूँगा,
कुछ तो करूँगा पर चालान नहीं भरूँगा।
 

दिमाग बंद हो गया मैं सन्न रह गया,
एक ही साँस में यह बच्चा क्या कह गया।
 

सच है, हम आज नियमों को नहीं मानते हैं,
पर ये महामारी आगे कभी खत्म होगी, हम कितना जानते हैं?
 

हमारे बच्चे हमें अपना आईडल समझते हैं,
जरा विचार करो क्या हम उनके आगे ठीक उदाहरण पेश करते हैं?

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