तो क्या होगा? Riya Gupta Prahelika
तो क्या होगा?
Riya Gupta Prahelikaमेरे बाबुल की गुड़िया हूँ, मुझे माँ ने सँवारा है,
तू मिट्टी का खिलौना ही समझ बैठा तो क्या होगा?
बड़े नाज़ों से पाला है, फूलों सा संभाला है,
तू कोई दाग दामन पर लगा बैठा तो क्या होगा?
मेरी दहलीज तक आकर, तू अंदर झाँक लेता है,
किसी दीवार से दिल में उतर बैठा तो क्या होगा?
अभी दिन सर्दियों के हैं, तुझे मैं धूप लगती हूँ,
कभी पतझड़ में तू मुझको झटक बैठा तो क्या होगा?
मेरा मरहम बनेगा तू, चलो मैं मान लेती हूँ,
तू जख्मों से बड़ा नासूर बन बैठा तो क्या होगा?
तुझे मन में बसा तो लूँ, तेरी मूरत सजा तो लूँ,
किसी मेहमान सा तू उठ के चल बैठा तो क्या होगा?
मैं राजी हूँ, मेरी इक शर्त है, तू रूह तक आना,
फकत तू जिस्म तक आकर, ठहर बैठा तो क्या होगा?