इश्क़ क्या है Jyoti Khadgawat
इश्क़ क्या है
Jyoti Khadgawatइश्क़ क्या है?
एक आरज़ू है
एक जुस्तजू है,
एक बेतरतीब ख़ुदगर्ज़ खोज़ है
मेरी आधी अधूरी रूह की
कामिल को पाने की।
मुसलसल उससे मुलाक़ात की चाह में
चलता हूँ मैं इस ज़िंदग़ी की राह में,
कभी खुद को फ़रेबता
कभी दूसरों क़ो मायूस करता हूँ मैं।
ग़ालिब की ग़ज़लों को चुराके
अपने अनजगे जज़्बातों को उनमें छुपाता हूँ मैं,
कभी रब में ढूँढता हूँ तुझे
कभी तेरे ना होने के भ्रम को सहलाता हूँ मैं।
सहर पे आके
बोझिल सी उम्मीद लिए
फ़रेबी हँसी में
अकेलेपन को समाके,
आज थक हार के बैठा हूँ मैं
कि तेरी आँखों ने देखा मुझे,
मेरे जीवन के सार की भँवर को
क़भी हिचकिचाती क़भी खिलखिलाती
मुस्कान से क्या छुआ तूने,
चाँदनी बिखर गई
झुलसी हुई रूखी पड़ गयी शाम में
और तेरे काँधे पे सर रख के
सो गया मैं थक हार के,
ऐसा लगा कि गुम था शायद
अपने रूह को पाने की चाह में,
शब्दों में उलझा था मैं
बेक़हे कोई समझ ले इस तलाश में।