तिरंगे की पुकार KUMAR SAURABH PRAVEEN
तिरंगे की पुकार
KUMAR SAURABH PRAVEENहै अग्नि जो धधक पड़ी
हुँकार है सिंह गर्जना,
माँ भारती के शेर हम
फिर क्यों है ये भतर्स्ना।
उठो अब पुकार है
ये सिंह की ललकार है,
तिरंगे की शान में
दुश्मनों पर ये प्रहार है।
रुके नहीं अब एक पग
बढ़ते रहें अब डग ही डग,
भावना ये देशभक्ति की
भर गया है अब रग-रग।