मैं कौन हूँ Rafiq Pasha
मैं कौन हूँ
Rafiq Pashaमैं मज़दूर हूँ, आज मैं मजबूर हूँ,
वैसे तो मैं मेहनत क़े लिए मशहूर हूँ।
कैसे दो रोटी जुटाऊँ
अपनों की भूक मिटाऊँ,
दूर गाँव कि मिट्टी मुझे बुलाए
बूढ़े माँ बाप की याद सताए,
मैं मज़दूर हूँ, मैं देश का अंकुर हूँ।
यह अचानक क्या हो गया
मेरा सुख चैन सब खो गया,
अपने भी हो गए पराए
चलते राह में न मिले सराय,
मैं मज़दूर हूँ, नई पीढ़ी का फितूर हूँ।
मेरी दास्तान अगली पीढ़ी याद रखे
एक लाचार कि गर्दन कभी न झुके,
शिकायत आज हम किससे करें,
अपना नसीब है जो भूखे मरें
मैं मज़दूर हूँ, युवा देश का सुरूर हूँ।