रूप Neeraj Kumar
रूप
Neeraj Kumarसागर के मोती को तेरी आँखों में सजाया है,
रेशम के धागे से तेरी पलकों को सजाया है,
तराशा तेरे नैन नक्ष को इतनी शिद्दत से खुदा ने,
की तेरे इस रूप ने सबको दीवाना बनाया है।
ढलती घनेरी शाम ने तेरी ज़ुल्फ़ों को बनाया है,
कोयल की मीठी आवाज़ को तेरे हलक में उतारा है,
चमतकते चाँद की चाँदनी ने तेरा ऐसा रंग सजाया है,
कि तेरे इस रूप ने सबको दीवाना बनाया है।
कंवल के फूल को तेरे होठों पे सजाया है,
गुलाब की पंखुड़ी ने मुलायम तेरे हाथों को बनाया है,
झुकते फूलों की डाल ने मतवाली तेरी चाल को बनाया है,
तेरे इस रूप ने सबको दीवाना बनाया है।