वो बाप है Ashish Singh
वो बाप है
Ashish Singhजीवन में एक से हालात नहीं मिलते,
जवानी में बाप से ख़यालात नहीं मिलते।
रूप, रंग, बोली, भाषा सब उसने ही दिया है पर,
न जाने क्यूँ उससे ही जज़्बात नहीं मिलते।
हमारे बुखार में रातें जग कर बितायीं जिसने,
बुढ़ापे में हम उसके ही साथ नहीं मिलते।
पूरी उम्र गुज़ार दी जिसने हमारी परवरिश में,
लानत है हम उससे ही कई रात नहीं मिलते।
अब खुद से पूछो या खुदा की गवाही ले लो,
वो बाप है और बाप यूँ ही बेबात नहीं मिलते।