प्रीति निर्मल छुवन  Premlata tripathi

प्रीति निर्मल छुवन

Premlata tripathi

देखकर यों तुम्हें जी लिया है,
आचमन ज्यों सुधा का किया है।
 

पंख खोले हवा में चला जो,
स्वाँस गाये जहाँ बन प्रिया है।
 

प्रीत निर्मल छुवन से बिखरती,
अलि मगन सोम रस में जिया है।
 

वर्तिका के बिना दीप सूना,
पर कहें जल रहा यों दिया है।
 

वात कंपित शिखा वत न बुझना,
ये हवायें जलातीं हिया है।
 

प्रीति मीरा सदी गा सके जो,
प्रेम जिसने गरल ही पिया है।
 

प्रदत्त मापनी ---
- 212 212 212 2

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