जुदाई का आभास  Shilpa Agarwal

जुदाई का आभास

Shilpa Agarwal

एक स्वप्न ने आज
मन को झकझोर दिया,
तुझसे दूरी के एहसास ने
माँ मुझको तोड़ दिया।
 

होकर तुझसे जुदा
क्या पाऊँगी सारी खुशियाँ वहाँ,
बन्ध जाऊँगी नए रिश्तो में
खोकर तुझसे पहचान यहाँ।
 

पली तेरे आंचल में
बनकर मैं परी,
'लाडो लाडो ' कहते
तेरी जिह्वा नहीं भरी।
 

छोड़ जाऊँगी जिस दिन
आंगन यह तेरा,
बह जाएगा अश्रुधारा में
तन-मन ये मेरा।

 

याद आएगी जब भी तू
थम जाएगी मुस्कान मेरी,
निभा दूंगी सारे रिश्ते यूँ
उतरूँगी मैं खरी।

अपने विचार साझा करें




1
ने पसंद किया
1194
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com