नूपुरों ने गीत मनुहार लिखे  Premlata tripathi

नूपुरों ने गीत मनुहार लिखे

Premlata tripathi

नूपुरों ने गीत मनुहार लिखे,
साँच वही प्रीत आर-पार लिखे।
अभिनय में प्रतिपल जो बीत रहा,
दर्द भरे जीवन दिन चार लिखे।
 

साँच वही प्रीत आर-पार लिखे।
 

चाहत भी थकन से उदास पड़ी,
खोजती मिलन की ये साँझ घड़ी।
आईने में देखती विराग को,
बोझिल ये पलकें भी क्षार लिखें।
 

साँच वही प्रीत आर-पार लिखे।
 

अधरों पर देती अम्लान हँसी,
उर में जो आस की उजास बसी।
सोती, निहारतीं भूलतीं सदा
अँखियाँ जो वक्त की मार लिखें।
 

साँच वही प्रीत आर-पार लिखें।
 

सलवटें दे माथे पर रेख कर,
कहकहे ये क्रंदन को देखकर।
आ! खुशियों के पलछिन समेट लें,
प्रेम सरस गीत बार-बार लिखें।
 

साँच वही प्रीत आर-पार लिखें।

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