उसके चेहरे का वो काला तिल... KAMAL JEET SINGH
उसके चेहरे का वो काला तिल...
KAMAL JEET SINGHउसके चेहरे का वो काला तिल-2
मुझे ना जाने क्यों अपनी ओर खींचता है;
मैं-मैं नहीं चाहता उसे छूना -2
फिर भी उसे चूमने को दिल करता है।
उसके चेहरे…………………………………………
शायद-शायद उन्हें भी खबर नहीं है
उनका वो तिल कितनों को घायल करता है,
वो तो बस इतराते मुस्कराते हुए चलते हैं
पर उनका तिल, हम आशिकों पर गोली सा वार करता है।
उसके चेहरे…………………………………………
मुझ जैसा व्यक्ति - मुझ जैसा सज्जन व्यक्ति
जो अब हसीनाओं से दूर रहता है ;
पर-पर ना जाने क्यों ,
देखकर उसे मेरा दिल आहें भरता है।
उसके चेहरे…………………………………………
कभी-कभी आ जाते हैं वो पास मेरे
शायद-शायद उन्हें भी अच्छा लगता है,
भर लेना चाहता हूँ मैं भी उन्हें अपने आगोश में-2
पर इस बेदर्द समाज के जुल्मों से डर लगता है।
उसके चेहरे…………………………………………
मैं-मैं जानता हूँ-2
कि मैं उसका शहजादा नहीं बन सकता,
इस बेदिल समाज के कायदे कानून नहीं तोड़ सकता
फिर भी मेरा पागल दिल -2
उसे ख्वाबों की मल्लिका बनाना चाहता है।
उसके चेहरे…………………………………………
मैं-मैं जानता हूँ कि ये मुमकिन न हो पाएगा
इस बेदर्द समाज को हमारा प्यार रास न आएगा,
दो जाति-धर्मों का बताकर हमें मार दिया जाएगा
हमारा पवित्र प्रेम जलाकर राख कर दिया जाएगा,
ऐसे खयालों से भी डर लगता है।
उसके चेहरे…………………………………………
मैं-मैं तो उनसे बेइंतहा मोहब्बत करता हूँ
उसके साथ मरना नहीं बस जीना चाहता हूँ,
उसे इस दिल की दिलरुबा बनाना चाहता हूँ
पर-पर, इस जन्म में ये मुमकिन न हो पाएगा,
ये बुजदिल समाज आशिकों की पीड़ा न समझ पाएगा।
पूछूँगा मैं मरके ईश्वर से एक दिन -2
दो जाति धर्म के लोगों में प्यार क्यों जगाता है।
उसके चेहरे का ……………………………………….. ।
मैं-मैं नहीं चाहता……………………………………….. ।