नव इतिहास मैं रच दूँगी Anjali Bhardwaj
नव इतिहास मैं रच दूँगी
Anjali Bhardwajमेरे जिस्म को चाहने वालों,
मेरी आत्मा को कचोटने वालों,
मेरे विश्वास को मारने वालों/वालियों,
मुझे बदनाम करने वालियों/वालों,
माना मजबूरी है मेरी
रहना तुम्हारे बीच में,
किंतु,
सुनो!
ध्यान से सुनो!
मेरे जीवनसाथी की कामिनी हूँ
उसी की मैं स्वामिनी हूँ,
उसी की हृदयांगी हूँ,
उसी के लिए वाचाला हूँ,
उसी के लिए मात्र रसाला हूँ।
यदि, यदि!
किसी ने मन मात्र में भी
की दुस्साहस कामना
पद्मावती बन जाऊँगी,
अग्नि को साक्षी बनाऊँगी
बन रण चंडी खा जाऊँगी,
शस्त्र भी उठा लाऊँगी
रक्त सब संचित कर दिखाऊँगी।
मगर,
मगर!
ना किसी खिलजी, मोहम्मद, के चक्षु उठने दूँगी,
ना किसी बलात्कारी का मात्र पग भी बढ़ने दूँगी,
ना घटिया राजनीति क्षण मात्र भी होने दूँगी,
इस देह को भस्म पल में कर मैं
नव इतिहास क्षण भर में रच दूँगी।