सिय राम चले अब औध पुरी  Premlata tripathi

सिय राम चले अब औध पुरी

Premlata tripathi

"चौदह वर्ष वनवास के उपरांत का एक लघु दृश्य"


सिय राम चले अब औध पुरी
धन पुष्पक मान विमान धुरी,
हनुमान सखा सुख धाम हरे
घर लौट रहे प्रभु राम हरे।
 

हरषे हुलसे नयना सरसे
मग जोहत हैं कब से तरसे,
मन भावन पावन नेह लिए
बरसे करुणा जनु मेह लिए।
 

विविधा धर रूप सजी सगरी
जननी सह कौशल की नगरी,
शुभ बोल सुनावन काग लगे
खग आज सुनो तव भाग जगे।
 

प्रिय राम लला हिय वास करो
छवि संग लली सिय वास करो,
अवधेश कुमार सखा जन के
हर दो रिपु व्याधि निकंदन के।
 

छल छद्म मिटे तन पीर हरो
प्रभु आय सदा भव भीर हरो,
मन रावण की नित हार सदा
नव ज्योति जले मन द्वार सदा।
 

प्रदत्त छंद-तोटक
मापनी-112 112 112 112

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