इस कोरोना को हराना है Nishant Gupta
इस कोरोना को हराना है
Nishant Guptaमाहौल है अफरा तफरी का,
माहौल है अफरा तफरी का,
हर तरफ चीख पुकार है,
कोई उनसे भी पूछे कहाँ उनका अवतार है।
सुनता था देखता था दूसरों की जब मैं पीड़ा,
होता था अफसोस लेकिन
दो पल में भूल कर बन जाता वापिस मैं फोन का कीड़ा।
देखा जब अपनों को रोते हुए,
छाती पीटते, भगवान को कोसते हुए,
तब हुआ एहसास हर किसी के दर्द का,
दर्द तो सब का बराबर चाहे मेरा या उसका।
वो लगे रहे अपनी रैलियों में,
सत्ता हासिल करने की पहेलियों में,
होगा उनका मकसद देश को सुधारना,
देश से घुसपैठ और गुंडागर्दी को मिटाना।
कौन देखेगा उस माँ के आँसुओं को,
बिलखते बच्चों, टूटते परिवारों की हसरतों को।
हसरतें कर लेना अपनी कभी और पूरी,
कम करो हमारे अपनों की यमराज से दूरी।
लगा पहली दफा, रोकना है
अपने घर के बड़ों को घर के बाहर जाने से,
इस बार कैसे रोकें,
एक माँ के जवान बेटे को उनसे दूर जाने से।
नहीं सह सकती एक माँ अपने बच्चे को खोने का गम,
क्या सोचा था और कैसी दुनिया में आ गए हम।
उठती उमंगे, बुने हुए सपने
और हँसती खेलती जिंदगियों को दबा,
एक-एक ज़िन्दगी कर रही
एक-एक परिवार तबाह।
पढ़ते हैं खबरों में,
कालाबाजारी और जमाखोरी बन गया है चलन,
मैं कहना चाहूँगा उनसे - 2
किसी के आँसुओं पे नहीं बनते आशियाने,
मत करो अधर्म, कहा था गीता में कृष्ण ने।
आज तुम कर रहे जो ये कालाबाजारी,
कल इसका कमाया एक-एक पैसा
निकलेगा बनके जैसे को तैसा,
इस बीमारी ने नहीं देखी गरीबी अमीरी,
कर दिया बराबर, चाहे हो तुम नेता या हो इन फकीरी।
कहते हैं देश के समाचार,
कुछ हैं डॉक्टर और नर्स
जो लिए घूम रहे कालाबाजारी का विचार,
मौका नहीं ये बनने का अमीर,
रोक लो जाने वालों को, रहो चाहे तुम फकीर।
रोक लो एक बेटे को जाते हुए,
रोक लो उस बेटी को जाते हुए,
ना बनो तुम शैतान,
हाथ जोड़ो चाहे तुम मानो अल्लाह, जीसस या भगवान।
दिक्कत बीमारी की ही नहीं
है दिक्कत हम में भी कहीं,
हमने नहीं समझा इस धरती को, समझा खुद को बड़ा,
उसने दिखाई हमारी औकात,
बताया वो ही सबसे ऊपर और सबसे बड़ा।
खैर, नहीं है समय
बाहर घूम के बनने का हीरो,
बन जाओ चूहा और छुपे रहो
अपने बिल में बन के ज़ीरो।
समय है बनने का महान
दिखाने इंसानियत की पहचान,
छूटती साँसों को फिर से मिलाना है
टपकते आँसुओं को खुशियों का बनाना है,
उस ऊपर वाले को भी दिखाना है
ज़मीर अपना नहीं गिराना है।
कालाबाजारी जमाखोरी को मिटाना है,
आज ये प्रण कर लो
अपने देश को फिर से महान बनाना है।
अपनों को अपनों से मिलाना है
थमती हुई साँसों को फिर से चलाना है,
डॉक्टर्स का साथ निभाना है,
उनको भगवान का दर्जा दिलाना है,
इस कोरोना को हराना है
इस कोरोना को हराना है।
उठ खड़ा हो, नहीं ये वक़्त मायूस होने का,
ना ही है ये वक़्त हार मानने का,
बनना है एक दूसरे की ताकत,
यही है हमारी सच्ची विरासत।
मौत तो आनी है एक दिन
उसे कौन रोक पाया है,
आत्मा अमर थी, है और रहेगी
उसे कौन मार पाया है।