प्यार भूलना बड़ा कठिन है Sachin Prakash
प्यार भूलना बड़ा कठिन है
Sachin Prakashदेखता हूँ आज भी मैं
हर रात को तस्वीर तुम्हारी,
ठहरता हूँ आज भी मैं
भूल कर सब दुनियादारी।
कहते हैं सब आगे बढ़ो अब
करो कल की तैयारी,
नया जीवन नई सुबह
संभालो अब नव जिम्मेदारी।
मै भी मुस्काता मंद-मंद
छिपा के दिल का कंद-कंद,
कहता हूँ मैं भूल गया सब
दिखलाता हूँ बस समझदारी।
कर्म पथ पर चलने का
खुद को नीत बदलने का,
हर रोज विजय पाने का नाटक
रोज़ नई ही कलाकारी।
और कितना संताप करूँ मैं
कब तक ये तकरार करूँ मैं,
क्या तप क्या त्याग करूँ मैं
कब तक सब संहार करूँ मैं।
नहीं होता अब संघर्ष खुद से ही
छोटी लगती धरा सारी,
एक उसी से जीवन था सारा
एक उसी पर सब बलिहारी।