सपने संग होगा Sachin Prakash
सपने संग होगा
Sachin Prakashतुम तो कहती थीं
सपने भी संग देखेंगे हम,
तुम तो कहतीं थी
जीवन में नए रंग भरेंगे हम।
क्या हुआ उन सपनों का
क्यों हौसले डगमगा रहे,
सफर शुरू ना हुआ
कदम अभी से लड़खड़ा रहे।
दूर खड़ी क्या देख रही
क्या किस्मत संग तू खेल रही,
गोरे गालों पे आँसू की बूंदें,
किस दुविधा को तू झेल रही।
आ जरा नैनों से नैन मिला
संग जीने के इरादे तो सिखा,
दिल में नई उमंग तो जगा,
कदमों को नई राहें तो दिखा।
ख्वाबों को हकीकत बना,
फिर नई कहानी लिखेंगे हम,
तुम ही तो कहती थी,
संग रहे तो कई रवानी देखेंगे हम।