मगर जीने के लिए ज़रूरी है जिजीविषा  कुन्दन राठौर

मगर जीने के लिए ज़रूरी है जिजीविषा

कुन्दन राठौर

माना कि वक़्त की रफ्तार तेज है,
माना कि समय की मार निष्ठुर है,
मगर जीने के लिए ज़रूरी है जिजीविषा।
 

माना कि मुँह बाए खड़ी हैं मुसीबतें हज़ार,
माना कि चिढ़ा रहा सामने लगा समस्याओं का अंबार,
मगर जीने के लिए ज़रूरी है जिजीविषा।
 

माना कि चढ़ न पा रही उम्मीदें परवान,
माना कि उमंगों को न लग पा रहे पंख,
मगर जीने के लिए ज़रूरी है जिजीविषा।
 

माना कि जिनकी तरफ थी चाह भरी नज़रें वे बेरुखी,
माना कि साथ छोड़ दिया साथ चलने के वायदे ने,
ख़ुद पर भरोसा ज़रूरी है जीने के लिए।
 

माना कि हौसला अफजाई कर सके जो, वे दे गए दग़ा,
माना कि अपने हो गए पराए से, न रहे सगा,
मगर जीने के लिए ज़रूरी है जिजीविषा।
 

माना कि जीवन की राह नहीं आसान, है काँटों से भरी,
माना कि नाउम्मीद हो, मन हो रहा भारी,
मगर जीने के लिए ज़रूरी है हिम्मत।
 

क्या होगा अगर हम खो दें होश
और तिरस्कृत कर दें ख़ुद का जोश,
अपने हुनर से भरोसा उठाकर मौत को गले लगाना है कायरता
और है नाकामी बिना लड़े,
जीने के लिए ज़रूरी है जिजीविषा।
 

सच है कि कोशिश करने वालों की हार न होती,
बीत गई सो बात गई,
हर अमावस के बाद है उजाला,
क्यों समझें ख़ुद को अकेला?
 

अस्त हो के फिर दुगुनी ऊर्जा से लौटता प्रखर दिनकर,
बिखरी उम्मीदों, बिखरे सपनों को समेट
फिर एक भरपूर कोशिश,
यही हो दिल की कशिश।
 

ध्रुव तारा बन छा जाएँ,
किशोर और युवा : नर हो न निराश करो मन को,
आत्महत्या न है मुश्किलों का अचूक हल,
ये तो मुश्किल से मिली ज़िंदगी के साथ छल।
 

चल चल चल और चल
मेरे दोस्त,
जीने के लिए ज़रूरी जूझना,
जीने के लिए ज़रूरी लड़ना,
जीने के लिए ज़रूरी चलना,
सबसे ज्यादा ज़रूरी है जीने के लिए जिजीविषा।

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