बेटी  SHIV VIBHUTI NARAYAN

बेटी

SHIV VIBHUTI NARAYAN

पिता की शान है बेटी
होती माँ की जान बेटी,
माँ बाप तर जाते, आती
लेकर जन्म तारनहार बेटी,
माँ की ममता और
होती पिता की सीख बेटी।
 

माँ की ममता से वंचित रहे न बेटा
माँ स्वरूपा बहन बन आती बेटी,
भाईयों को संकट मुक्त करने
भाई दूज मनाती बेटी,
भाई को तरक्की व स्नेह मिले
राखी पर्व मनाती बेटी।
 

पुरुष को सम्पूर्ण करने
आती बन अर्धांगिनी बेटी,
पति का सच्चा मित्र होती
दुःख सुख में सहभागी बेटी,
दिखती नहीं पर साथ हमेशा
चलती बन परछाई बेटी।
 

दो घरों को रोशन करती
उनकी गरिमा बढ़ाती बेटी,
मायके में वो हँसती-हँसाती
सबको रखती खुशहाल बेटी,
ससुराल में जब वो आती
पाती नया संसार बेटी।
 

रखती सबकी लाज बेटी,
हमसे गलती होवे ना
जुड़े रिश्ते टूटे ना
परिवार में कोई रूठे ना,
बना रहे प्रेम हमेशा
रखती इसका ध्यान बेटी।
 

जब पत्नी और इक माँ
बन जाती बेटी,
तब पति व संतान की
लम्बी उम्र व रक्षा हेतु
अन्न जल का कर परित्याग
कठिन व्रत वो रखती बेटी।

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