काव्यशाला - श्रृंगार रस की कविताएं

हिंदी साहित्य के श्रृंगार रस की कालजयी कविताओं का संकलन





भाव भगति है जाकें

सूरदास

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1840  0

अब के सजन सावन में 

आनंद बख़्शी

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1291  0

नई उमरिया प्यासी है

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1446  0

हाय-हाय ये मज़बूरी

संतोषानन्द

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1358  0

मौसम के गाँव 

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1643  0

मधु के दिन मेरे गए बीत

नरेन्द्र शर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

 1249  0

मोरे ललन

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

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दूसरो न कोई

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

 1684  0

उनकी ख़ैरो-ख़बर नहीं मिलती

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

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हो झालौ दे छे रसिया

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

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कुछ बन जाते हैं

उदय प्रकाश

शृंगार रस | आधुनिक काल

 240  0

न आने की आहट

गुलज़ार

शृंगार रस | आधुनिक काल

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अब तुम्हारा प्यार भी मुझको नहीं स्वीकार

गोपालदास ‘नीरज’

शृंगार रस | आधुनिक काल

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ग्रीषम प्रचंड घाम चंडकर मंडल तें

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

 1164  0

बसो मोरे नैनन में नंदलाल

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

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इन हसीन वादियों से 

संतोषानन्द

शृंगार रस | आधुनिक काल

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मैं तो झोंका हूँ

कुमार विश्वास

शृंगार रस | आधुनिक काल

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उर तिमिरमय घर तिमिरमय

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

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भिक्षा

बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

शृंगार रस | आधुनिक काल

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नयनों के डोरे लाल-गुलाल भरे

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

शृंगार रस | आधुनिक काल

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आरस सोँ रस सोँ

पद्माकर

शृंगार रस | रीतिकाल

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वे मधु दिन

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

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कुँजन के कोरे मनु केलिरस बोरे लाल

देव

शृंगार रस | रीतिकाल

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हे री मैं तो प्रेम-दिवानी

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

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श्रंगार-सोरठा

रहीम

शृंगार रस | भक्तिकाल

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पूछता क्यों शेष कितनी रात

महादेवी वर्मा

शृंगार रस | आधुनिक काल

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अपनी भीगी हुई पलकों पे सजा लो मुझको

नक्श लायलपुरी

शृंगार रस | आधुनिक काल

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जानत नहिं लगि मैं

महाकवि बिहारीलाल

शृंगार रस | रीतिकाल

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प्रभु जी तुम दर्शन बिन

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

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बरसै बदरिया सावन की

मीराबाई

शृंगार रस | भक्तिकाल

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