Hello All, I am Ravindra
कविता बन जाती है
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तुम सम्भाल लेना
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नारी तेरी यही कहानी
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कितना अच्छा हो
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प्रीत मिले एक रीत मिले
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आधे मोल ही बिक जाऊँगा
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मेरी कलम तुम्हारे चित्र
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पराक्रम ओर धैर्य
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परिश्रम जो तेरा तू ही जानता है
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ह्रदय मेरा मिलन के गीत गाता है !
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अधूरा रह गया गीत मेरा!
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प्रिये अनुपम श्रृंगार तेरा
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यूँ लगा कि तुम आ गई
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मैं भी उसी रंग का दीवाना हो गया
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नहीं मिलता!
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फिर उनका दीदार हुआ है
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फिर वो मुझको पुकारती होगी !
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तुम चाहो तो बहार आ जाए !
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माली निकला ग़द्दार
मैं काविता गाने आया हूँ
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झूठे इन किरदारों में मुझको कैसे पाओगे
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बता भी दे कोई खुशियों का रास्ता
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क्यों है तू मुझसे दूर बता
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