नारी तेरी यही कहानी Ravindra Kumar Soni
नारी तेरी यही कहानी
Ravindra Kumar Soniखुद के महल को छोड़ तूने औरों के घर को सजाया,
उस युग मे सीता बन, इन युग ने "निर्भया" बनाया।
कहीं पर पन्नाधाय बन, देश प्रेम का सबक सिखाया,
तो कहीं पर प्रेम सागर दिखलाने हो गई मीरा दीवानी,
नारी तेरी यही कहानी।
जो तुझ पर क्रूर हुए थे, मर गया उनकी आँख का पानी,
तुझे लज्जित हर बार कर, शर्मसार हुई उनकी जवानी।
कभी पद्मावती बनाकर , "आसिफा" पर दोहराई कहानी,
सभी ने शांत स्वरूप को रौंदा, बन जा फिर से भवानी,
नारी तेरी यही कहनी।
रौंद सभी ने अपनी मर्यादा, सदा तुझे घूँघट में बाँधा,
जननी, बहन, संगिनी बनकर, निभा रही तू अपना वादा।
सभी रिश्तों से बँधकर भी, सदा रही वीरानी,
हर युग मे तेरी चीखें हर युग में तेरी निशानी,
नारी तेरी यही कहानी।