पुस्तक समीक्षा : उदय - एक नए युग का लेखक : विवेक तड़ियाल "व्योम"

कवि-मन संवेदनशील होता है और वही संवेदनशीलता जब ऊर्जावान होकर शब्दों के माध्यम से फूटती है तो कविता का रूप ले लेती है। और एक कवि जब कविता के अलंकार और सौंदर्य का मोह त्यागकर समाज, देश और सम्पूर्ण मानवता की बात अपनी कविता के माध्यम से करने लगता है तो अनायास ही वो जनकवि हो जाता है। लेकिन ये जन कविताएँ ही, जो अलंकारों और सौंदर्यबोध के बंधन से मुक्त हैं, जब व्यवस्था से सवाल करती हैं या व्यवस्था पर कटाक्ष करती हैं तो व्यवस्था के प्रतिनिधियों को "धक" से लगती हैं और उनको सिंघावलोकन के लिए मजबूर कर देती हैं।

विवेक तड़ियाल जी का काव्यसंग्रह "उदय - एक नए युग का" ऐसी ही कविताओं का संकलन है। हालाँकि ये विवेक जी की पहली प्रकाशित पुस्तक है लेकिन इसमें ही उन्होंने समाज के हर पहलू को समाहित करने का एक ईमानदार और सफल प्रयास किया है। कविताएँ अपनी तासीर के अनुसार कई भागों में विभाजित हैं ताकि पाठक एक ही भाव से संबन्धित विषय पर अपना विमर्श बना सके।

प्रथम भाग "अपराजिता" में माँ के ममत्व के साथ-साथ स्त्री विषयक समस्याओं को भी गंभीरता से उठाया गया है, भारतीय समाज में स्त्री को लेकर जो दोहरा व्यवहार अपनाया जाता है उसपर ये कविताएँ सवाल खड़ा करती हैं। हमारा समाज "यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" के साथ-साथ भ्रूण हत्या के लिए भी जाना जाने लगा है जिसकी चिंता कविताओं में झलकती है।

दूसरा भाग "कलाम" है जो सभी के जागरण का आवाह्न है, ये कविताएँ प्रेरणादायक शब्द और विचार का संधिपत्र हैं।

तीसरा भाग "राष्ट्र-वंदन" है जो राष्ट्र प्रेम से ओत-प्रोत हृदय का शाब्दिक उद्गार है। इन कविताओं में राष्ट्र के सभी तत्वों को समाहित किया गया है और उनसे लगाव का भाव दृष्टिगोचर होता है।

चौथा भाग "सर्वोदय" का है जो कवि को जनकवि की ओर प्रस्थान करा देता है, इसके माध्यम से समाज और सामाजिक रूढ़ियों की बात की गई है जो व्यक्ति विशेष को कचोट के आगे बढ़ती है।

अंतिम भाग "अंजुमन" में विविध प्रकार की कविताओं का समायोजन है। इसमें जीवन के तमाम अन्य विषयों से पाठकों को जोड़ने का प्रयास किया गया है।

सभी कविताओं का स्वरूप विषयानुरूप है। लेखन में घोर साहित्यिक शब्दावली से परहेज ही किया गया है। शब्दों को अलंकृत करने की बजाय तुकबंदी पर कवि का विशेष जोर परिलक्षित होता है, काव्य-सौंदर्य में परिष्करण की गुंजाइश दिखती है।

काव्यसंग्रह अपने आप मे परिपूर्ण दिखाई देता है। इस काव्य-संग्रह की सबसे विशिष्ट बात है प्रत्येक कविता के पूर्व उस रचना विशेष के प्रस्फुटित होने की परिस्थितियों की चर्चा संक्षेप में की गई है, इससे पाठक कवि के भावों को समझने में स्वयं ही समर्थ हो जाता है तथा लेखक और पाठक के बीच एक जुड़ाव बन जाता है।

पब्लिशिंग प्रकाशन (मेपल प्रेस) द्वारा प्रकाशित ये काव्य-संग्रह एक पठनीय पुस्तक है। पुस्तक का जिल्द नाम के अनुसार ही है और आकर्षक है। पेपरबैक संस्करण में इसका निर्धारित मूल्य १२५/- रुपये है। तकनीकी सेवी लोगों के लिए इसका ई-बुक संस्करण भी उपलब्ध है। साथ ही यह पुस्तक सभी बड़े ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर भी आसानी से उपलब्ध है।

Navneet Pandey

नवनीत पांडेय पेशे से अभियंता हैं एवं हिंदी भाषा और साहित्य से विशेष लगाव रखते हैं। कविताएँ लिखने में विशेष दिलचस्पी रखने वाले नवनीत देश-विदेश के समकालीन मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखते हैं।

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