प्रीत मिले एक रीत मिले  Ravindra Kumar Soni

प्रीत मिले एक रीत मिले

Ravindra Kumar Soni

प्रीत मिले एक रीत मिले
सूने मन को नवनीत मिले,
काली रातों को भोर मिले
कानन को वन मोर मिले,
जो गायक को संगीत मिले।
 

वो सुन्दर हो वो पावन हो
वो सरल हो मनभावन हो,
सूक्ष्म दिखे मन विशाल हो
अंधकार में जलती मशाल हो,
जो मतिहीन को मति ज्ञान मिले
प्रीत मिले एक रीत मिले।
 

कोयल सी मधुर वाणी हो
कोमल ह्रदय धारिणी हो,
हो धूप छाँव सी चरल परल
अमिट स्याही सी अटल अड़ियल,
जो सूखे को बरसात मिले
प्रीत मिले एक रीत मिले।

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