पराक्रम ओर धैर्य  Ravindra Kumar Soni

पराक्रम ओर धैर्य

Ravindra Kumar Soni

दिखा पराक्रम यह जग तेरे आगे नतमस्तक हो जाएगा,
धीर धर तू कर्म किए जा तेरा वक़्त भी आएगा।
 

किया परिहास सभा ने रघुवर के प्रत्यंचा चढ़ाने पर,
तोड़ दिया शिव धनुष राम ने अपना समय आने पर।
खो ना मनोबल बढ़ता चल, शौर्य तेरा दिख जाएगा,
धीर धर तू कर्म किए जा तेरा वक़्त भी आएगा।
 

करते रघुवर सागर से विनती पथ की थी अभिलाषा,
त्राहि-त्राहि हो उठा सिंधु, जब जाग उठी पौरुष की भाषा।
दिखा सामर्थ्य तेरा, मार्ग सुसज्जित हो जाएगा,
धीर धर तू कर्म किए जा तेरा वक़्त भी आएगा।
 

हुए शून्य अभिमान में जो थे कंचन ग्रहवासी,
बने पूण्य से उत्तम जो थे साधारण वनवासी ।
तू भी चल सुमार्ग पर तेरा उर विश्रृंखल हो जाएगा,
धीर धर तू कर्म किए जा तेरा वक़्त भी आएगा।

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