बता भी दे कोई खुशियों का रास्ता Ravindra Kumar Soni
बता भी दे कोई खुशियों का रास्ता
Ravindra Kumar Soniबता भी दे कोई खुशियों का रास्ता,
एक जमाना बीत गया मुस्कुराए हुए !
सब कुछ है मगर कुछ कमी सी है,
एक अरसा हुआ उसे गले लगाए हुए !
नज़ाकत से चलिए इस मिजाज-ए-शहर में,
यहाँ बैठे वो आँखों में काजल लगाए हुए !
यूँ ना कहिए कि फकत हम ही दीवाने हैं,
जो भी उस ओर गया आया है दिल लगाए हुए !
अब उन्हें भूलने को ना कहिए जनाब,
हमारी साँसों में हैं वो समाए हुए।