प्यारी नानी त्रिलोक सिंह ठकुरेला
प्यारी नानी
त्रिलोक सिंह ठकुरेला
कितनी प्यारी बूढ़ी नानी
हमें कहानी कहती हैं।
जाते हम छुट्टी के दिन में
दूर गाँव वह रहती हैं॥
उनके आँगन लगे हुए हैं
तुलसी और अमरूद, अनार।
और पास में शिव का मंदिर
पूजा करतीं घंटे चार॥
हमको देती दूध, मिठाई
पूड़ी खीर बनाती हैं।
कभी शाम को नानी हमको
खेत दिखाकर लाती हैं॥
कभी कभी हमकों समझातीं
जब हम करते नादानी।
पैसे देकर चीज दिलातीं
कितनी प्यारी हैं नानी॥