नक्श लायलपुरी

जीवन परिचय

नक़्श साहब का जन्म 24 फरवरी 1928 को लायलपुर (अब पाकिस्तान का फैसलबाद) में हुआ।उनके वालिद मोहतरम जगन्नाथ ने उनका नाम जसवंत राय तजवीज़ किया।शायर बनने के बाद उन्होंने अपना नाम तब्दील किया।अब उनके अशआर इस क़दर दिलों पर नक़्श हो चुके हैं कि ज़माना उन्हें नक़्श लायलपुरी के नाम से जानता है –
 
नक़्श से मिलके तुमको चलेगा पता
जुर्म है किस क़दर सादगी दोस्तो
 
नक़्श लायलपुरी 1947 में जब बेवतन हुए तो लायलपुर से पैदल चलकर हिंदुस्तान आए और लखनऊ को अपना आशियाना बनाया। पान खाने और मुस्कराने की आदत उनको यहीं से मिली। उनकी शख़्सियत में वही नफ़ासत और तहज़ीब है जो लखनऊ वालों में होती है।

लेखन शैली

नक्श लायलपुरी की शायरी में ज़बान की मिठास, एहसास की शिद्दत और इज़हार का दिलकश अंदाज़ मिलता है । उनकी ग़ज़ल का चेहरा दर्द के शोले में लिपटे हुए शबनमी एहसास की लज़्ज़त से तरबतर है। शायरी के इस समंदर में एक तरफ़ फ़िक्र की ऊँची-ऊँची लहरें हैं तो दूसरी तरफ़ इंसानी जज़्बात की ऐसी गहराई है जिसमें डूब जाने को मन करता है । नक़्श साहब की शायरी में पंजाब की मिट्टी की महक, लखनऊ की नफ़ासत और मुंबई के समंदर का धीमा-धीमा संगीत है-
 
मेरी पहचान है शेरो-सुख़न से 
मैं अपनी क़द्रो क़ीमत जानता हूं

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

तमाम उम्र चला हूँ मगर चला न गया

शृंगार रस
2

ज़हर देता है कोई, कोई दवा देता है

शांत रस
3

एक आँसू गिरा सोचते-सोचते

शृंगार रस
4

मैं दुनिया की हक़ीकत जानता हूँ

शांत रस
5

अपनी भीगी हुई पलकों पे सजा लो मुझको

शृंगार रस
6

माना तेरी नज़र में तेरा प्यार हम नहीं

शृंगार रस
  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com