पवन चक्र परचंड चलत केशव
पवन चक्र परचंड चलत
केशव | भयानक रस | रीतिकालपवन चक्र परचंड चलत, चहुँ ओर चपल गति ।
भवन भामिनी तजत, भ्रमत मानहुँ तिनकी मति ॥
संन्यासी इहि मास होत, एक आसन बासी ।
पुरुषन की को कहै, भए पच्छियौ निवासी ॥
इहि समय सेज सोबन लियौ, श्रीहिं साथ श्रीनाथ हू ।
कहि केसबदास असाढ़ चल, मैं न सुन्यौ श्रुति गाथ हू ॥
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परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
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