आज मदहोश हुआ जाए रे गोपालदास ‘नीरज’

आज मदहोश हुआ जाए रे

गोपालदास ‘नीरज’ | शृंगार रस | आधुनिक काल

आज मदहोश हुआ जाए रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन
बिना ही बात मुस्कुराये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन 

ओ री कली , सजा तू डोली 
ओ री लहर , पहना तू पायल 
ओ री नदी , दिखा तू दर्पण 
ओ री किरण ओढा तू आँचल 
इक जोगन हैं बनी आज दुल्हन
आओ उड़ जाए कही बन के पवन 
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन 
शरारत करने को ललचाये रे, मेरा मन मेरा मन मेरा मन

ये, यहाँ हमे ज़माना देखे , आओ चलो कही छुप जाए 
भीगा भीगा नशीला दिन है , कैसे कहो प्यासे रह पाये 
तू मेरी मैं हू तेरा , तेरी कसम 
मैं तेरी तू हैं मेरा , मेरी कसम 
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन 
शरारत करने को ललचाये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन 

रोम रोम बहे सुर धारा , अंग अंग बजे शहनाई 
जीवन सारा मिला एक पल मी , जाने कैसी घड़ी ये आयी 
छू लिया आज मैंने सारा गगन 
नाचे मन आज मोरा छूम छनन 
आज मदहोश हुआ जाए रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन 
शरारत करने को ललचाये रे , मेरा मन मेरा मन मेरा मन

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