मैं बैरागण हूंगी मीराबाई

मैं बैरागण हूंगी

मीराबाई | शृंगार रस | भक्तिकाल

बाला मैं बैरागण हूंगी।
जिन भेषां म्हारो साहिब रीझे, सोही भेष धरूंगी।
सील संतोष धरूँ घट भीतर, समता पकड़ रहूंगी।
जाको नाम निरंजन कहिये, ताको ध्यान धरूंगी।
गुरुके ग्यान रंगू तन कपड़ा, मन मुद्रा पैरूंगी।
प्रेम पीतसूँ हरिगुण गाऊँ, चरणन लिपट रहूंगी।
या तन की मैं करूँ कीगरी, रसना नाम कहूंगी।
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, साधां संग रहूंगी।

अपने विचार साझा करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com