बरसै बदरिया सावन की मीराबाई
बरसै बदरिया सावन की
मीराबाई | शृंगार रस | भक्तिकालबरसै बदरिया सावन की,
सावन की मनभावन की ।
सावन में उमग्यो मेरो मनवा,
भनक सुनी हरि आवन की ॥
उमड घुमड चहुं दिस से आयो,
दामण दमके झर लावन की ।
नान्हीं नान्हीं बूंदन मेहा बरसै,
सीतल पवन सुहावन की ॥
मीरा के प्रभु गिरघर नागर,
आनन्द मंगल गावन की ॥
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परिचय
"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।
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