वही त्रिलोचनहै त्रिलोचन

वही त्रिलोचनहै

त्रिलोचन | अद्भुत रस | आधुनिक काल

वही त्रिलोचनहै, वह-जिस के तन पर गंदे
कपड़े हैं। कपड़े भी कैसे-फटे लटे हैं
यह भी फ़ैशन है, फ़ैशन से कटे कटे हैं।
कौन कह सकेगा इसका यह जीवन चंदे
पर अवलम्बित् है। चलना तो देखो इसका-
उठा हुआ सिर, चौड़ी छाती, लम्बी बाहें,
सधे कदम, तेजी, वे टेढ़ी मेढ़ी राहें
मानो डर से सिकुड़ रही हैं, किस का किस का
ध्यान इस समय खींच रहा है। कौन बताए,
क्या हलचल है इस के रुंधे रुंधाए जी में
कभी नहीं देखा है इसको चलते धीमे।
धुन का पक्का है, जो चेते वही चिताए।
जीवन इसका जो कुछ है पथ पर बिखरा है,
तप तप कर ही भट्ठी में सोना निखरा है।

अपने विचार साझा करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com